वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
८ जून २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
माया दीपक नर पतंग, भृमि - भृमि मांहि परंत ।
कोई एक गुरु ज्ञान ते, उबरे साधु संत॥
प्रसंग:
भ्रम क्या हैं?
अपने को भ्रम से क्यों दूर रखें?
हम माया के जाल जाकर में अक्सर क्यों फँस जाते है?